2. चार्ल्स एमिल रेनॉड

(एक भूले हुए जीनियस। )

मॉडर्न एनिमेशन की नींव रखने वाले व्यक्ति, जिनका आविष्कार सिनेमा के जन्म के रूप में भी देखा जाता है। चार्ल्स - एमिल रेनॉड एक साइन्स टीचर और इनवेंटर थे, जिन्होंने प्रैक्सिनोस्कोप बनाया और दुनिया को (पहले) प्रोजेक्टेड़ एनिमेटेड फिल्म से परिचित कराया। 8 दिसंबर 1844 को पेरिस में जन्मे रेनॉड ने अपने करियर की शुरुआत 1862 में एक असिस्टेंट फोटोग्राफर के रूप में की थी। वह जादुई लालटेन और उस समय के अन्य ऑप्टिकल खिलौनों से आकर्षित थे । उन्होंने साईंटिफ़िक मैगज़ीन्स में ऑप्टिकल टॉयस और लेंटर्न के बारे में जितना हो सके अध्ययन किया और अंत में एक अजीब मशीन बनाया जिसे 1877 में पेटेंट कराया गया था और 'प्रेक्सिनोस्कोप' नाम दिया गया था, ज़ोएट्रोप पर एक सुधार, प्रैक्सिनोस्कोप 'परसिसटेन्स ऑफ विज़न' के सिद्धांत पर काम करता है, इल्यूजन का सिद्धांत जो फिल्म प्रोजेक्शन को कार्य करने की अनुमति देता है।
लूप में पहले से खींची गई, सिेक्वेंशियल इमेजेस के साथ एक रोटेटिंग ड्रम में पेस्ट किया गया, प्रैक्सिनोस्कोप ने एक ग्लास पर रिफ्लैक्टेड मुविंग इमेजेस को दिखाया, जो 1800 के दशक के उत्तरार्ध में एक अविश्वसनीय अनुभव बना रहा था जब सिनेमा अस्तित्व में नहीं था। हालांकि प्रैक्सिनोस्कोप पर पूरा परफॉर्मेंस केवल 12 सेकंड तक चला, लेकिन इसने दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया।

प्रैक्सिनोस्कोप एक बड़ी सफलता थी। फिर भी, रेनॉड के दिमाग में, यह अभी भी होने के लिए कुछ बचा था। इसलिए उन्होंने प्रोटोटाइप डवलप किया और इम्प्रूवड़ मशीन का नाम 'थिएटर प्रैक्सिनोस्कोप' रखा। वे आसानी से संतुष्ट होने वाले नहीं थे, उन्होंने थिएटर ऑप्टिक नामक एक बेहतर और बड़ी प्रोजेक्शन प्रणाली बनाने के लिए और सुधार किया और वर्ष 1888 में इसका पेटेंट कराया।

रेनॉड के थिएटर ऑप्टिक के पहले पब्लिक परफॉर्मेंस में 28 अक्टूबर 1992 को पेरिस के ग्रीविन संग्रहालय में पैंटोमाइम्स ल्यूमिनस नामक एक कार्टून फिल्म दिखाई गई थी, जिसे रेकोग्निझेड़ फिल्म पर्फ़ोरेशन के पहले ज्ञात उदाहरण के रूप में मान्यता प्राप्त हुई, लगभग 500 सिेक्वेंशियल कार्टून इमेजेस को सीधे एक ट्रान्सपेरेंट स्ट्रिप पर पैंट किया गया था, 15 मिनट का विजूअल वंडर बनाने के लिए ट्रान्सपेरेंट स्ट्रिप के साथ हाथ से मेनिप्युलेशन किया गया। इस तरह वे सार्वजनिक स्क्रीन पर कार्टून फिल्में दिखाने वाले दुनिया के पहले व्यक्ति बने।

घर में एक खिलौने से, उनका आइडिया पब्लिक एंटेरटेनमेंट के रूप में विकसित हुआ। 10 वर्ष से अधिक समय तक रेनॉड ने आधा मिलीयन ज्यादा डिलाइटेड़ पेट्रॉन्स को लुभाने के लिए शो किए। यह मानना सुरक्षित होगा की उनकी अधिकांश दर्शको को कभी यह ख़याल भी आया होगा की वे जो देख रहे हें, इसके पीछे कितनी ज्यादा मेहनत छुपी हुई हें। और यह भी संभावना हें कि रेनॉड को खुद इस ऊँचाई कि जरा सी भी कल्पना नहीं रही हो कि उनके द्वारा एनिमेटेड़ कार्टून के पहले प्रोटोटाइप से एनिमेशन किस ऊँचाई की दिशा तक पहुँच सकता हें।
-वाल्ट डिज़्नी

जबकि 28 दिसम्बर 1895 को ल्यूमियर ब्रदर्स द्वारा 'सिनेमैटोग्राफ' के पहले पैड पब्लिक स्क्रीनिंग को फिल्मों के जन्म के तौर पर जाना जाता हें , रेनॉड का थिएटर ऑप्टिक से मुविंग पिक्चर-एनिमेटेड कार्टून बनाना विश्व में इससे तीन वर्ष पहले ही आकार ले चुका था। रेनॉड के इनवेंशन ने एंटरटैनमेंट कि पूरी दिशा ही बदल दी और मॉडर्न सिनेमा को आकार देने में मददगार रहा। रेनॉड द्वारा इनवेंटेड फिल्म पर्फोरेशन टेक्निक का ल्यूमियर ब्रदर्स द्वारा फिल्म एडवांसिंग के लिए केमरा और प्रोजेक्टर द्वारा उपयोग किया गया।

क्या आप जानते हें ?

28 ऑक्टोबर 1892 को रेनॉड द्वारा किए पहले परफॉर्मेंस कि याद में 'असिफ़ा' विश्व भर में प्रति वर्ष "इंटरनेशनल एनिमेशन ड़े" मनाता हें ।